Rekha mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -29-Mar-2022

     बड़ा  मासूम था  वो चेहरा 
बड़ा  मासूम था वो चहरा 
के बड़ा मासूम था वो चेहरा ।
हमने हंस कर अपनी जान 
उस चेहरे पर लुटाई थी। 
हमे क्या मालूम था ये 
हमारे अरमानो की रुस्वाई थी। 
शुरुआत में खूबसूरत सपने 
दिखाने वाले अक्सर ताउम्र 
रुलाते हैं यह हमारी जिंदगी 
की भी सच्चाई थीं। 
ना रो सके खुलकर के 
दुनिया क्या कहेगी। 
के हंसने की तो अब ना 
औकात हमारी थी। 
बड़ा मासूम था वो चेहरा जिसे 
देख जान पर बन आयी थी। 
बड़ा मासूम था वो चेहरा 
जिस के लिए हमने अपनी 
शख्सियत गंवाई थी। 
के बड़ा मासूम था वो चेहरा 
जिसने सब लूट लिया हमारा 
और  उफ तक कि आवाज भी 
ना कर पाई थी। बड़ा मासूम था 
वो चेहरा जिसने मेरी हंसती 
खेलती जिंदगी नरक से 
बदतर बनाई थी। 

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8 Comments

Shrishti pandey

30-Mar-2022 08:01 AM

Nice one

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Gunjan Kamal

30-Mar-2022 07:52 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Abhinav ji

30-Mar-2022 07:47 AM

Nice

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